एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान अपनी पत्नी सीता और दो बच्चों के साथ रहता था। रामू मेहनती था, लेकिन ज़मीन बंजर थी और बारिश भी समय पर नहीं होती थी। परिवार की हालत बहुत खराब थी, फिर भी सीता कभी शिकायत नहीं करती थी। वह घर संभालती, बच्चों को पढ़ाती और पति को हर कदम पर सहारा देती।
बच्चे, सोनू और मोनू, बहुत समझदार थे। वे जानते थे कि उनके माता-पिता कितना संघर्ष कर रहे हैं। स्कूल से आने के बाद वे अपने पिता की खेत में मदद करते और माँ के साथ घर का काम भी।
एक साल बहुत कठिन आया – सूखा पड़ा, फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। रामू टूट गया। वह गांव छोड़ने की सोचने लगा। लेकिन तब सीता ने कहा, "अगर हम भागेंगे तो कभी नहीं जीतेंगे। हमें अपनी मिट्टी पर भरोसा रखना होगा।"
बच्चों ने भी कहा, "पापा, हम सब मिलकर मेहनत करेंगे। स्कूल के बाद खेत में काम करेंगे, और इस बार हम सब बदल देंगे।"
रामू को हिम्मत मिली। पूरे परिवार ने दिन-रात एक कर दिया। बच्चों ने जैविक खेती की जानकारी इंटरनेट से ली, सीता ने खाद बनाने में मदद की, और रामू ने नई तक